क्या आपको पता है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में ये खास बातें? Trimbakeshwar Jyotirlinga?

इस पूरे भारतवर्ष में हजारों मंदिरो की स्थापना पूरी विधि विधान से किया गया है, सभी मंदिरों का अपना अलग - अलग महत्व होता है। पूरे विश्व में भारत में सबसे ज्यादा मंदिर देखी जाती है और ये मंदिर सभी अलग - अलग देवताओं पर आधारित होते है। ठीक इसी तरह भारत में भगवान शिव की 12 ज्योतिर्लिंग का अपना एक अलग ही महत्व है। भोलेनाथ में श्रद्धा रखने वाले सभी श्रद्धालु इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन अवश्य करते है और इस ज्योतर्लिंग में देश के हर एक कोने से श्रद्धालु आते हैं। आज हम आपको त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। भारत की पावन भूमि में स्थित 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग के नाम उनके स्थान के अनुसार दिए गए है। यह नाम क्रम वार है। सोमनाथ (गुजरात) मल्लिकार्जुन (आंध्रप्रदेश) महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश) ओम्कारेश्वर (मध्य प्रदेश) केदारनाथ (उत्तराखंड) भीमाशंकर (महाराष्ट्र) काशी विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश) त्रयंबकेश्वर (महाराष्ट्र) वैद्यनाथ (झारखंड) नागेश्वर (गुजरात) रामेश्वरम (तमिल नाडु) घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र) भारत में स्थित सभी धार्मिक स्थलों के पीछे कोई ना कोई कथा कहानी या रहस्य अवश्य छुपी होती है। हर मंदिर के इतिहास को देखा जाए तो सभी मंदिर के पीछे एक रहस्यमई कहानी, लोक कहानी या मंगढ़त कहानी अवश्य होती है। इस लेख में आपको त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के पीछे की वास्तविक कहानी बताने जा रहे हैं। कृपया पूरा पढ़े। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। नासिक रोड से 11 किलोमीटर की दूरी पर नाशिक पंचवटी है। कहा जाता है कि यही सीता जी का हरण हुआ था। पंचवटी से 30 किलोमीटर की दूरी पर त्रयंबकेश्वर महादेव का पावन स्थान है, जो कि भारत 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग की काफी मान्यता है और भोलेनाथ के भक्त यहां पर दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। मुख्य मंदिर के भीतर एक गड्ढे में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग है, ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर के पीछे अमृत कुंड है। इस प्राचीन मंदिर के मान्यता की कहानी नासिक के हर एक व्यक्ति विशेष के मुख से सुना जा सकता है। कहा जाता है कि इस तरह त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे।
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